भारत के 10 IAS अधिकारी जिन्होंने अपने गरीबी को मात देकर IAS बने →

भारत के 10 IAS अधिकारी जिन्होंने अपने गरीबी को मात देकर IAS बने →

श्रीधन्य सुरेश 

ये केरल की आदिवाशी कम्युनिटी की पहली महिला  IAS अधिकारी बनी. इन्होने IAS की परीक्षा  तो पास कर ली पर इंटरव्यू के लिए इनके पास पैसे नहीं थे , इस समय इनकी सहेली ने इनकी मदद किया और इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने में मदद किया .

के. जय गणेश

इनका जन्म विनावामंगलम गाँव में हुआ था . ये अपने 4 भाइयों में सबसे बड़े थे और परिवार की पूरी जिम्मेदारी इनके कंधे पर थी. ये परिवार को पालने के लिए वेटर का भी काम किये और साथ में IAS बनने के लिए कड़ी मेहनत की और 2007 में ias में AIR 156 रैंक आया

अंसार अहमद शैख़ 

इनके पिता ऑटो रिक्सा ड्राईवर थे और अंसार के भाई ने स्कूल ड्राप करके अंसार के ias के सपनो को पूरा करने के लिए मैकेनिक का जॉब किया . 2015 में अंसार ने सबसे कम उम्र के ias बनाकर कर इतिहास रचा .

अंशुमन राज 

इनका जन्म बक्सर, बिहार के एक छोटे से गाँव में हुआ था. इन्होने मिटटी के तेल के दिए में सेल्फ स्टडी करके IAS बनने के सपने को पूरा किया .

ममता यादव

ममता यादव

ममता यादव दिल्ली के बसाई गाँव की पहली हैं जिन्होंने 24  साल के उम्र में IAS 2020 में AIR 5 रैंक हाशिल किया. ममता अपने गाँव में पूरी जिंदगी रही थी.

अनिल बसक

बिहार के किसनगंज गाँव के कपड़े बेचने वाले के लड़के ने IAS 2021 में AIR 45 वीं रैंक हासिल करके अपने पिता और गाँव का नाम रोशन किया . अनिल चाहते थे की जो परेशानियाँ उनके घर वालों ने झेला है उसे दुबारा न झेलना पड़े.

शैली राठी 

खरहर गाँव , बहादुरगढ़ के किसान की लड़की ने IAS बनकर अपने परिवार की किस्मत बदली . शेल्ली के  पिता ने बताया की वो दिन भर किसानी करते थे और उनकी बच्ची कड़ी मेहनत के साथ  IAS अधिकारी बनीं

एम् शिवगुरु प्रभाकरन

इनके पिता शराबी थे और माता और बहन जिंदगी चलाने के लिए थांजावुर में नारियल बेचा करती थी. इन सब परिस्तिथियों को पार करके पहले ये IIT से M.tech किया और उसके बाद IAS 2017 में AIR 101 रैंक लाये और अधिकारी बने और परिवार के स्थिति को बदला.

निरंजन कुमार 

कोरोना के वजह से बर्बाद हुए तम्बाकू बेचने वाले के लड़के ने IAS  बनकर अपने परिवार की भविष्य को बदल दिया

सत्यम गाँधी

सत्यम गाँधी  ने कभी मोमो और सैंडविच के बारे में नहीं सुना था जब तक उनका दाखिला दिल्ली विश्वविद्यालय में नहीं हुआ  22 साल की उम्र में सत्यम ने IAS में 10 वीं रैंक हांसिल करके अपने  बिहार के गाँव का नाम रोशन किया