जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को बहुत आहत किया था . वो स्कूल बंक करके जलियाँवाला बाग जाते थे और वहां की मिटटी को शहीदों के खून के साथ एक बोतल में भरकर उसकी हरदम पूजा करते थे .
कॉलेज लाइफ में भगत सिंह बहुत उम्दा अभिनेता हुआ करते थे. उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया जैसे 'राणा प्रताप' और 'भारत दुर्दशा'
भगत सिंह के माता पिता चाहते थे की भगत सिंह शादी करले पर भगत कहते थे की में अगर अंग्रेजी हुकूमत में शादी करूँगा तो केवल मौत से करूँगा. बाद में उन्होंने HSRA ज्वाइन किया और वहीँ दुर्गावती देवी से शादी किया.
8 साल की उम्र से ही उन्हें बन्दुक बहुत पसंद थीं. वह कहते थे की इन्हीं बंदूकों से में अंग्रेजों को भारत से भागाउंगा और भारत माता को आजाद कराऊंगा.
भगत सिंह साम्यवाद और समाजवाद से बहुत प्रभावित थे . वे छोटी उम्र से ही लेनिन के क्रांतियों को पढ़ते थे और प्रेरणा लिया करते थे.
वे कहते थे की अंग्रेज उन्हें मार देंगें पर उनकी सोच को नहीं, शारीर को कुचल देंगें पर आत्मा को नहीं.
भगत सिंह ने अपने आखरी पत्र में लिखा था की उन्हें फांसी ना दिया जाये बल्कि गोली मारी जाये.यह दिखाता है की वे कितने बहादुर और देश प्रेमी थे
भगत सिंह ने अपने आखरी पत्र में लिखा था की उन्हें फांसी ना दिया जाये बल्कि गोली मारी जाये.यह दिखाता है की वे कितने बहादुर और देश प्रेमी थे
भगत सिंह अपने एसोसिएशन के साथ असेंबली में बम गिराया था. वे किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे इसलिए उन्होंने केवल आवाज करने वाला बम फेका था ताकि सोयी जनता को जगा सकें.
भगत सिंह और साथियों ने 116 दिन तक भूख हड़ताल किया था और साथ में काम करना, गाना गाना, नाचना, पढना आदि किया करते थे.
जब भगत सिंह की माता उनसे मिलने जेल में आती थी तो वो जोर जोर से हँसते थे. ये सब देख कर जेल कर्मी कहते थे की ये कैसा इन्सान है जो अपने मौत के नजदीक होते हुए भी हँस रहा है.
जब भगत सिंह की माता उनसे मिलने जेल में आती थी तो वो जोर जोर से हँसते थे. ये सब देख कर जेल कर्मी कहते थे की ये कैसा इन्सान है जो अपने मौत के नजदीक होते हुए भी हँस रहा है.
भगत सिंह ने एक शक्तिशाली नारे को जन्म दिया' इंक़लाब जिंदाबाद'. जो पुरे भारत के संघर्ष का नारा बन गया
23 मार्च 1931 को तय समय से एक घंटा पहले ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया दे दिया गया. आखरी समय में भी तीनो वीर मुस्कुराते हुए फांसी पर चढ़ गए थे.