एक कार (Car) को खरीदना स्टेट सिंबल के तौर पर देखा जाता है. पूरी दुनिया में यह मानसिकता है कार की सुविधाएं देख कर ही आम लोग यह तय करते हैं कि व्यक्ति का रुतबा कितना है. आज के जमाने की एक सामान्य कार में बहुत सारे कार्यों के लिए इलेक्ट्रॉनिक चिप (Electronic Chip) का उपयोग होता है. तकनीकों के साथ – साथ कार के साथ दी जाने वाली सुविधाएं भी इलेक्ट्रॉनिक होती जा रही हैं. ये सेमीकंडक्टर (Semiconductor) चिप होती हैं और आज के समय की कारों की बिना ऐसे चिप के कल्पना ही नहीं की जा सकती है. इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से कारों और इन सेमीकंडक्टर चिप का संबंध और गहरा और मजबूत हो गया है. लेकिन पिछले कुछ समय से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ऐसी चिप की कमी से जूझ रही है.
चिप का क्या काम?
चिप एक पोर्ट डिवाइस है, इसका उपयोग डाटा सहेजने में होता है. सरल शब्दों में कहें तो ऑटोमोबाइल्स उद्योग से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां तक चिप की कमी से जूझ रही हैं. इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और ब्रेक को ऑपरेट करने के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल होता है. नए वाहनों के लिए यह चिप बेहद जरूरी है. यह एक छोटी-सी चिप है, जिसका कारों में इस्तेमाल किया जाता है.
उपकरणों का दिमाग
हाईटेक वाहनों में कई तरह के चिप का इस्तेमाल होता है. सेफ्टी फीचर्स में भी चिप का इस्तेमाल होता है. एक तरह से सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ‘दिमाग’ कहा जाता है. यही नहीं, ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में आम वाहनों के मुकाबले ज्यादा चिप लगते हैं. इसलिए चिप की सप्लाई में कमी से इलेक्ट्रिक वाहनों को भी झटका लग सकता है.
सेमीकंडक्टर क्या है
सेमीकंडक्टर वह पदार्थ होता है जिसमें एक विद्युत सुचालक और एक कुचालक के बीच के गुण होते हैं. इसका प्रमुख कार्य विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करना होता है. ये सेमीकंडक्चर शुद्ध तत्वों से, आम तौर सिलिकॉन से बनता है. इसमें सुचालक के गुणों में बदलाव लाने के लिए उसमें कुछ विशेष तरह की अशुद्धता मिलाई जाती है जिसे डोपिंग कहते हैं. डोपिंग से ही सेमीकंडक्टर के वांछनीय गुण विकसित हो पाते हैं. इसी पदार्थ का उपयोग कर एक छोटा सा विद्युत सर्किट बनाया जाता है जिसे चिप कहते हैं.

कारों (Cars) में नए फीचर्स अब केवल इलेक्ट्रॉनिक चिप्स से ही संचालित और नियंत्रित होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कार में इसका क्या उपयोग है
बदलाव के साथ कारें अब पहियों पर कम्प्यूटर की तरह होती जा रही हैं. उनमें ऑटोमैटिक वाहन चालन , संचार सुविधाएं, और इंजन, ब्रेक आदि पर नियंत्रण, सबकुछ इलेक्ट्रॉनिक ही हो रहा है. इलेक्ट्रिक वाहनों का पूरा का पूरा संचालन ही इलेक्ट्रॉनिक पर ही है जिसमें केवल ईंधन बिजली से मिलता है. इतना ही नहीं कारों में अब तरह तरह के सेंसर्स लगने लगे हैं और बढ़ते फीचर्स वाला सुरक्षा तंत्र भी इलेक्ट्रॉनिक चिप्स से संचालित और नियंत्रित होता है.
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चिप्स के लिए क्यों संघर्ष कर रही हैं कंपनियां
कोविड महामारी की वजह से पूरी दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी हो गई है. इसका सीधा असर भारत में वाहनों की पड़ रहा है जो इस बार की दिवाली के सीजन में बाकी उद्योगों की तरह उछाल की उम्मीद कर रही थी. इस सीजन से पहले ही वाहनों की बिक्री पर बहुत बुरा असर पड़ा है जबकि दूसरे क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश दिख रही है. गैर व्यवसायिक वाहनों की बिक्री में ही इस साल सितंबर में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत गिरावट आई है.

पूरी आईटी उद्योग सेमीकंमडक्टर (Semiconductor) पर ही आधारित है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
क्या और भी हैं कारण
वैसे तो इस कमी का कारण कोविड-19 महामारी की वजह से ठप पड़े उद्योग और आपूर्ति तंत्र बताया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञ इसके और भी कारण बता रहे हैं जिनकी वजह से यह उद्योग विशेष प्रभावित हुआ. आपूर्ति पर टेक्सास में आए तूफान और जापान में एक फैक्ट्री में लगी आग के कारण असर हुआ था. चीनी कंपनियों ने भी चिप की जमाखोरी की, और दुनिया के बंदरगाहों पर लगे जाम ने भी इसे काफी प्रभावित किया.
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इसके बिना क्या कार नहीं बन सकती?
इसका सीधा जवाब है बिलकुल नहीं. हाल तो यह है कि कारें के और ज्यादा से ज्यादा फीचर इलेक्ट्रॉनिक होते जा रहे हैं और कभी लग्जरी कारों में ही ऐसी चिप्स का उपयोग होता था. अब तो हर तरह के वाहन इलेक्ट्रॉनिक होते जा रहे हैं जिनमें दो पहिया वाहन तक शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सेमीकंडक्टर चिप की मांग बहुत ही ज्यादा होती है जा रही है. जबकि स्पलाई चेन, उत्पदान आदि में उतनी तेजी से सुधार या तरक्की नहीं हुई है.
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