First Published: August 14, 2021 | Last Updated:August 14, 2021
भारत और कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों (chronic disease) के उच्च स्तर ने खतरनाक कोरोनावायरस लहर को बढ़ावा दिया।
मुख्य बिंदु
- कोविड-19 के बड़े पैमाने के अध्ययनों से पता चला है कि, मदुरै के दक्षिणी जिले के रोगियों में चीन, यूरोप, दक्षिण कोरिया और अमेरिका की तुलना में मरने का जोखिम अधिक था।
- भारत को एक गैर-संचारी रोग संकट का भी सामना करना पड़ा क्योंकि भारत में मध्यम वर्ग की आबादी बढ़ रही है और उसकी जीवन शैली गतिहीन (sedentary) और समृद्ध जीवन शैली है।
- भारत में समृद्ध जीवन शैली उन्हें मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाती है जिसके परिणामस्वरूप देश भर में होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ जाता है।
- मधुमेह और हृदय रोग की मौजूदा स्थितियों के कारण कोरोनावायरस को अधिक नुकसानदायक बना दिया है, जिससे केस और मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।
- अध्ययन से यह भी पता चलता है कि यदि भारत में वर्तमान में मधुमेह और उच्च रक्तचाप के आधे मामले होते, तो दूसरी लहर का असर कम होता।
दूसरी लहर के दौरान मृत्यु दर
शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि, कम से कम एक मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति वाले कोविड-19 रोगियों में मृत्यु दर 5.7% थी, जबकि अन्यथा स्वस्थ होने वाले रोगियों में 0.7% थी। भारत की पहली लहर के दौरान मदुरै में आरटी-पीसीआर के लिए परीक्षण किए गए 4,00,000 से अधिक लोगों पर डेटा का अध्ययन किया गया था।
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