First Published: October 28, 2021 | Last Updated:October 28, 2021
26 अक्टूबर, 2021 को भारत और किर्गिस्तान ने नई दिल्ली में अपनी पहली रणनीतिक वार्ता की।
मुख्य बिंदु
- इस शिखर सम्मेलन के दौरान, दोनों देश सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
- भारत और किर्गिस्तान दोनों ही अफगानिस्तान की स्थिति के कारण खतरे और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- उन्होंने अफगानिस्तान के विशेष संदर्भ में क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण पर भी चर्चा की।
- वे आतंकवाद का मुकाबला, नशीले पदार्थों पर नियंत्रण, कट्टरपंथ का मुकाबला करना और रक्षा सहयोग पर भी सहमत हुए।
भारत-किर्गिस्तान संबंध (India-Kyrgyzstan Relations)
भारत मध्य एशिया के साथ घनिष्ठ संबंध साझा करता है, विशेषकर उन देशों के साथ जो किर्गिस्तान सहित प्राचीन रेशम मार्ग का हिस्सा थे।दोनों के सीमित राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध थे। वर्ष 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बिश्केक और इस्सिक कुल झील (Issyk Kul Lake) का दौरा किया था। भारत ने 31 अगस्त, 1991 को किर्गिस्तान की स्वतंत्रता के बाद 1992 में किर्गिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। भारत ने 1994 में रेजिडेंट मिशन की स्थापना की।
राजनीतिक संबंध
किर्गिज़ गणराज्य के साथ भारत के राजनीतिक संबंध पारंपरिक रूप से मधुर और मैत्रीपूर्ण हैं। किर्गिस्तान के नेताओं ने कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन किया है। उन्होंने चल रही शांति प्रक्रिया का भी स्वागत किया है। इसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में पूर्ण सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है।
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