संशोधन 44वाँ – Amendment FORTY-FOURTH (44) AMENDMENT in Hindi

विवरण

भारत का संविधान (44वाँ संशोधन) अधिनियम, 1978

भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
संपति के अधिकार को, जिसके कारण संविधान में कई संशोधन करने पड़े, मूल अधिकार के रूप में हटाकर केवल विधिक अधिकार बना दिया गया।
फिर भी यह सुनिश्चित किया गया कि संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों की सूची से हटाने से अल्पसंख्यकों के अपनी पसंद के शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने और संचालन संबंधी अधिकारों पर कोई प्रभाव न पड़े।
संविधान के अनुच्छेद 352 का संशोधन करके यह उपबंध किया गया कि आपात स्थिति की घोषणा के लिए एक कारण ‘सशस्त्र विद्रोह’ होगा।
आंतरिक गड़बड़ी, यदि यह सशस्त्र विद्रोह नहीं है तो आपात स्थिति की घोषणा के लिए आधार नहीं होगा।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को जैसा कि अनुच्छेद 21 और 22 में दिया गया है, इस उपबंध द्वारा और अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
इसके अनुसार निवारक नजरबंदी नहीं रखा जा सकता, जब तक कि सलाहकार बोर्ड यह रिपोर्ट नहीं देता कि ऐसी नजरबंदी के पर्याप्त कारण हैं।
इसके लिए अतिरिक्त संरक्षण की व्यवस्था इस अपेक्षा से की गई कि सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष किसी समुचित उच्च न्यायालय का सेवारत न्यायाधीश होगा और बोर्ड का गठन उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिशों के अनुसार किया जाएगा।

भारत का संविधान , अधिक पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें

Share Now!

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email
Telegram

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारत के संविधान को जानें

Shopping Cart
शहीद भगत सिंह के अनसुने तथ्य जिन्हें आपने कभी नहीं सुना होगा भारत के 10 IAS अधिकारी जिन्होंने गरीबी को मात दिया