विवरण
(1) राज्य की कोई विधि, माल के क्रय या विक्रय पर, जहाँ ऐसा क्रय या विक्रय–
(क) राज्य के बाहर, या
(ख) भारत के राज्यक्षेत्र में माल के आयात या उसके बाहर निर्यात के दौरान,
होता है वहाँ, कोई कर अधिरोपित नहीं करेगी या अधिरोपित करना प्राधिकृत नहीं करेगी।*
(2)** संसद, यह अवधारित करने के लिए कि माल का क्रय या विक्रय खंड (1) में वर्णित रीतियों में से किसी रीति से कब होता है विधि द्वारा, सिद्धांत बना सकेगी।
(3)*** जहाँ तक किसी राज्य की कोई विधि–
(क) ऐसे माल के, जो संसद द्वारा विधि द्वारा अंतरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य में विशेष महत्व का माल घोषित किया गया है, क्रय या विक्रय पर कोई कर अधिरोपित करती है या कर का अधिरोपण प्राधिकृत करती है; या
(ख) माल के क्रय या विक्रय पर ऐसा कर अधिरोपित करती है या ऐसे कर का अधिरोपण प्राधिकृत करती है, जो अनुच्छेद 366 के खंड (29क) के उपखंड (ख), उपखंड (ग) या उपखंड (घ) में निर्दिष्ट प्रकृति का कर है,
वहाँ तक वह विधि, उस कर के उद्ग्रहण की पद्धति, दरों और अन्य प्रसंगतियों के संबंध में ऐसे निबंधनों और शर्तों के अधीन होगी जो संसद विधि द्वारा विनिर्दिष्ट करे।
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* संविधान (छठा संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 4 द्वारा खंड (1) के स्पष्टीकरण का लोप किया गया।
** संविधान (छठा संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 4 द्वारा खंड (2) और खंड (3) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
*** संविधान (छियालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1982 की धारा 3 द्वारा खंड (3) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
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